Yajurveda 18/40 (Yajurveda Chapter 18 Verse 40): यजुर्वेद अध्याय 18 मंत्र 40 (Yajurveda Adhyay 18 Shloka 40)

Yajurveda 18/40 (Yajurveda Chapter 18 Verse 40): यजुर्वेद अध्याय 18 मंत्र 40 (Yajurveda Adhyay 18 Shloka 40)

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Yajurveda 18/40: Details of Yajurveda Chapter 18 Verse 40

Veda Name

Yajurveda (यजुर्वेद)

Adhyay (अध्याय) Number

18

Shloka (मंत्र) Number

40

Provider

hsslive.co.in

Material Format

Text

How to find Yajurveda Chapter 18 Verse 40(Yajurveda adhyay 18 shloka 40)?

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Yajurveda 18/40 | Yajurveda 18.40

“इन्द्र॑ऽआसां ने॒ता बृह॒स्पति॒र्दक्षि॑णा य॒ज्ञः पु॒रऽए॑तु॒ सोमः॑। दे॒व॒से॒नाना॑मभिभञ्जती॒नां जय॑न्तीनां म॒रुतो॑ य॒न्त्वग्र॑म् ॥४० ॥”

 

पद पाठ

“इन्द्रः॑। आ॒सा॒म्। ने॒ता। बृह॒स्पतिः॑। दक्षि॑णा। य॒ज्ञः। पु॒रः। ए॒तु॒। सोमः॑। दे॒व॒से॒नाना॒मिति॑ देवऽसे॒नाना॑म्। अ॒भि॒भ॒ञ्ज॒ती॒नामित्य॑भिऽभञ्जती॒नाम्। जय॑न्तीनाम्। म॒रुतः॑। य॒न्तु॒। अग्र॑म् ॥४० ॥”

Yajurveda 18/40 in Sanskrit | Yajurveda 18.40 in Sanskrit

यजुर्वेदः अध्यायः ३० श्लोकः २ अधोलिखितपङ्क्तौ भवन्तः प्राप्नुवन्ति । यजुर्वेदे कुलम् ४० अध्यायाः सन्ति । प्रयोक्तृसुलभतायै यजुर्वेदस्य सर्वान् अध्यायान् तद्श्लोकान् च प्रदातुं प्रयत्नः कृतः ।

Yajurveda adhyay 18 shloka 40 in Sanskrit | यजुर्वेद अध्याय 18 श्लोक 40

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Yajurveda 18/40 in Hindi | Yajurveda 18.40 in Hindi

आप नीचे दी गई पंक्तियों में यजुर्वेद अध्याय 18 श्लोक 2 पा सकते हैं। यजुर्वेद में कुल 40 अध्याय हैं। हमने उपयोगकर्ताओं की सुविधा के लिए यजुर्वेद के सभी अध्याय और उनके श्लोक उपलब्ध कराने का प्रयास किया है।

Yajurveda adhyay 18 shloka 40 in Hindi | यजुर्वेद अध्याय 18 श्लोक 40

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Yajurveda 18/40 in English | Yajurveda 18.40 in English

You can find the Yajurveda Chapter 18 Verse 2 in the lines provided below. There are a total on 40 chapters in the Yajurveda. We have tried to provide all chapters of the Yajurveda and their verses for ease of users. 

Yajurveda adhyay 18 shloka 40 in English

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Yajurveda 18/40 in Marathi | Yajurveda 18.40 in Marathi

खाली दिलेल्या ओळींमध्ये तुम्हाला यजुर्वेद अध्याय ३० श्लोक २ मिळेल. यजुर्वेदात एकूण ४० अध्याय आहेत. आम्ही यजुर्वेदातील सर्व अध्याय आणि त्यांचे श्लोक वापरकर्त्यांच्या सोयीसाठी देण्याचा प्रयत्न केला आहे.

Yajurveda adhyay 18 shloka 40 in Marathi | यजुर्वेद अध्याय 18 श्लोक 40

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Yajurveda 18/40 in Bengali | Yajurveda 18.40 in Bengali

আপনি নীচের দেওয়া লাইনগুলিতে যজুর্বেদ অধ্যায় 18 শ্লোক 2 খুঁজে পেতে পারেন। যজুর্বেদে মোট 40টি অধ্যায় রয়েছে। আমরা ব্যবহারকারীদের সুবিধার্থে যজুর্বেদের সমস্ত অধ্যায় এবং তাদের শ্লোকগুলি প্রদান করার চেষ্টা করেছি।

Yajurveda adhyay 18 shloka 40 in Bengali

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Yajurveda 18/40 in Urdu | Yajurveda 18.40 in Urdu

آپ نیچے دی گئی سطروں میں یجروید باب 18 آیت 2 تلاش کر سکتے ہیں۔ یجروید میں کل 40 ابواب ہیں۔ ہم نے صارفین کی آسانی کے لیے یجروید کے تمام ابواب اور ان کی آیات فراہم کرنے کی کوشش کی ہے۔

Yajurveda adhyay 18 shloka 40 in Urdu

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Yajurveda Adhyay 18 All Shloks

Yajurveda All Adhyay

About Yajurveda

यजुर्वेद हिन्दू धर्म का एक महत्त्वपूर्ण श्रुति धर्मग्रन्थ और चार वेदों में से एक है। इसमें यज्ञ की असल प्रक्रिया के लिये गद्य और पद्य मन्त्र हैं। ये हिन्दू धर्म के चार पवित्रतम प्रमुख ग्रन्थों में से एक है और अक्सर ऋग्वेद के बाद दूसरा वेद माना जाता है – इसमें ऋग्वेद के ६६३ मंत्र पाए जाते हैं। फिर भी इसे ऋग्वेद से अलग माना जाता है क्योंकि यजुर्वेद मुख्य रूप से एक गद्यात्मक ग्रन्थ है। यज्ञ में कहे जाने वाले गद्यात्मक मन्त्रों को ‘’यजुस’’ कहा जाता है। यजुर्वेद के पद्यात्मक मन्त्र ऋग्वेद या अथर्ववेद से लिये गये है। इनमें स्वतन्त्र पद्यात्मक मन्त्र बहुत कम हैं। यजुर्वेद में दो शाखा हैं : दक्षिण भारत में प्रचलित कृष्ण यजुर्वेद और उत्तर भारत में प्रचलित शुक्ल यजुर्वेद शाखा।

जहां ऋग्वेद की रचना सप्त-सिन्धु क्षेत्र में हुई थी वहीं यजुर्वेद की रचना कुरुक्षेत्र के प्रदेश में हुई। कुछ लोगों के मतानुसार इसका रचनाकाल १४०० से १००० ई.पू. का माना जाता है।

The Yajurveda (Sanskrit: यजुर्वेद, IAST: yajurveda, from यजुस्, ‘worship’, and वेद, ‘knowledge’) is the Veda primarily of prose mantras for worship rituals. An ancient Vedic Sanskrit text, it is a compilation of ritual-offering formulas that were said by a priest while an individual performed ritual actions such as those before the yajna fire. Yajurveda is one of the four Vedas, and one of the scriptures of Hinduism. The exact century of Yajurveda’s composition is unknown, and estimated by Witzel to be between 1200 and 800 BCE, contemporaneous with Samaveda and Atharvaveda.

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